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'भरतहि होई न राजमदु विधि हरी पद पाई।
कबहुँ की काँजी सीकरनि छीर सिंधु बिनसाई।।'
इसमें अलंकार है:
कबहुँ की काँजी सीकरनि छीर सिंधु बिनसाई।।'
इसमें अलंकार है:

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Important Questions on रस, छन्द, अलंकार
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नीचे दी गई पंक्तियों के संदर्भ में प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
'मो सम कौन कुटिल खल कामी?'
खल का अर्थ है-

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"रहिमन जो गति दीप की, कुल कपूत गति सोय ।
बारे उजियारे लगें, बढ़ै अंधेरो होय।।"
इस दोहे में कौन-सा अलंकार है?

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जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई ।।' में किस रस की अभिव्यक्ति है?

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"राग है कि, रूप है कि
रस है कि जल है कि
तन है कि, मन है कि
प्राण है कि, प्यारी है।
उपर्युक्त पंक्तियों में रस है।
