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काव्यांश को ध्यान से पढ़िए और उस पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

कितनी करुणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार-तार
अनुराग भरा उन्माद राग

आंसू लेते वे पथपखार
जो तुम आ जाते एक बार।
हंस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जाता होंठो से विषाद

छा जाता जीवन में वसंत
चिरसंचित विराग लुट जाता
आंखें देतीं सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार।

पल भर में किस प्रकार के नेत्र हँस उठते हैं :

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Important Questions on अपठित गद्यांश एवं काव्यांश

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वह छाया है मेरे पावन विश्वासों की,
वह पूँजी है मेरे गूँगे अभ्यासों की,
वह सारी रचना का क्रम है,
वह जीवन का संचित श्रम है,
बस उतना ही मैं हूँ
बस उतना ही मेरा आश्रय है,
तुम उसको मत वाणी देना
वह पीड़ा है जो हमको,
तुमको, सबको अपनाती है, 
सच्चाई है- अनजानों का भी हाथ पकड़ चलना सिखलाती है,
वह यति है- हर गति को नया जन्म देती है
आस्था है- रेती में भी नौका खेती है
वह टूटे मन का सामर्थ है,
वह भटकी आत्मा का अर्थ है,
तुम उसको मत वाणी देना।

'वह छाया है मेरे पावन विश्वासों की' का आशय है:

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निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्न के सही/सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए।
रंग गई पग-पग धन्य धरा, .....
हुई जग जगमग मनोहरा।
वर्ण गन्ध घर, मधु मरन्द भर,
तरु-उर की अरुणिमा तरुणतर
खुली रूप-कलियों में पल भर
स्तर स्तर सुपरिसरा।
गूँज उठा पिक-पावन पंचम
खग-कुल-कलरव मृदुल मनोरम,
सुख के भय काँपती प्रणय-क्लम
वन श्री चारुमरा।

'पग-पग धन्य धरा' से कवि का आशय है?

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निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।

'दूसरों की निंदा करने का एक कारण दूसरे के प्रति ईर्ष्या-द्वेष भी होता है। कुछ लोग ईर्ष्या-द्वेष से दूसरों की निंदा करते हैं। इस प्रकार की निंदा सरस नही होती। उसमें आनंद नहीं आता। निंदा करने का जो आनंद समर्पित भाव से निंदा करने मे आता है, वह ईर्ष्या-द्वेष रखकर निंदा करने मे नही आता। ईर्ष्या द्वेष रखकर निंदा करने वाले को सुख प्राप्त नहीं होता। वह सदा दु:खी और अशांत रहता है। उससे दूसरे की उन्नति, प्रगति, सुख, समृद्धि सहन नहीं होती। अपनी असमर्थता और हीनता के कारण उसमें ईर्ष्या द्वेष उत्पन्न होता है। वह रात-दिन इस आग मे जलता रहता है। दूसरों की निंदा करने पर उसे थोड़ी-सी शांति मिलती है। ऐसा निंदक दया का पात्र होता हैं। वह अपनी असमर्थता अयोग्यता और हीनता से दुःखी होकर दूसरों की योग्यता को देखकर उनकी निंदा उसी प्रकार करता है, जैसे- चाँद को देखकर कुत्ता सारी रात भौंकता रहता है।

किसको देखकर कुत्ता रात भर भौंकता है ?
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निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्न के सही/सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए।
कोई हँस रहा है कोई रो रहा है
कोई पा रहा है कोई खो रहा है
कोई ताक में है किसी को है गफलत
कोई जागता है कोई सो रहा है
कहीं नाउम्मीदी ने बिजली गिराई
कोई बीज उम्मीद के बो रहा है
इसी सोच में मैं तो रहता हूँ 'अकबर'
यह क्या हो रहा है यह क्यों हो रहा है।

'कहीं न उम्मीदी ने बिजली गिराई कोई बीज उम्मीद के बो रहा है' पंक्ति में कवि की किस विचारधारा का संकेत मिलता है?

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निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्न के सही/सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए।

वह पूँजी है मेरे गूँगे अभ्यासों की,
वह सारी रचना का क्रम है,
वह जीवन का संचित श्रम है,
बस उतना ही मैं हूँ,
बस उतना ही मेरा आश्रय है,
तुम उसको मत वाणी देना
वह पीड़ा है जो हमको,
तुमको, सबको अपनाती है, 
सच्चाई है- अनजानों का भी हाथ पकड़ चलना सिखलाती है, 
वह यति है- हर गति को नया जन्म देती है
आस्था है- रेती में भी नौका खेती है 
वह टूटे मन का सामर्थ है,
वह भटकी आत्मा का अर्थ है,
तुम उसको मत वाणी देना।

उपरोक्त कविता की किस पंक्ति में अतिशय विश्वास की भावना का संकेत मिलता है?

EASY
कविता-शिक्षण में कौन-सा तत्व उसे गद्य से अलग करता है?
EASY

'कोई हँस रहा है कोई रो रहा है।
कोई पा रहा है कोई खो रहा है
कोई ताक में है किसी को है गफलत
कोई जागता है कोई सो रहा है
कहीं नाउम्मीदी ने बिजली गिराई
कोई बीज उम्मीद के बो रहा है।
इसी सोच में मैं तो रहता हूँ 'अकबर'
यह क्या हो रहा है, यह क्यों हो रहा है?'

'रो रहा है' से कवि का क्या आशय है?

EASY

नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/ सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प चुनिए-
स्तब्ध ज्योत्सना में जब संसार
चकित रहता शिशु-सा नादान
विश्व के पलकों पर सुकुमार
विचरते हैं जब स्वप्न अजान।
न जाने नक्षत्रों से कौन
निमन्त्रण देता मुझको मौन?
'सघन मेघों का भीमाकाश
गरजता है जब तमसाकार 
दीर्घ भरता समीर निःश्वास 
प्रखर झरती जब पावस धार' 
न जाने, तपक तड़ित में कौन,
मुझे इंगित करता तब मौन
'कनक छाया में जब कि सकाल 
खोलती कलिका उर के द्वार।' 
सुरभि पीड़ित मधुपों के बाल 
तड़प बन जाते हैं गुंजार  
न जाने दुलक ओस में कौन
खींच लेते मेरे दृग मौन!

उक्त पद्यांश में समीर शब्द का पर्यायवाची शब्द है:

EASY

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्न के सही/सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए।
रंग गई पग-पग धन्य धरा, .....
हुई जग जगमग मनोहरा।
वर्ण गन्ध घर, मधु मरन्द भर,
तरु-उर की अरुणिमा तरुणतर
खुली रूप-कलियों में पल भर
स्तर स्तर सुपरिसरा।
गूँज उठा पिक-पावन पंचम
खग-कुल-कलरव मृदुल मनोरम,
सुख के भय काँपती प्रणय-क्लम
वन श्री चारुमरा।

उपरोक्त कविता में किसकी सुंदरता का मनोरम दृश्य प्रस्तुत किया गया है?

EASY

निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।

'दूसरों की निंदा करने का एक कारण दूसरे के प्रति ईर्ष्या-द्वेष भी होता है। कुछ लोग ईर्ष्या-द्वेष से दूसरों की निंदा करते हैं। इस प्रकार की निंदा सरस नही होती। उसमें आनंद नहीं आता। निंदा करने का जो आनंद समर्पित भाव से निंदा करने मे आता है, वह ईर्ष्या-द्वेष रखकर निंदा करने मे नही आता। ईर्ष्या द्वेष रखकर निंदा करने वाले को सुख प्राप्त नहीं होता। वह सदा दु:खी और अशांत रहता है। उससे दूसरे की उन्नति, प्रगति, सुख, समृद्धि सहन नहीं होती। अपनी असमर्थता और हीनता के कारण उसमें ईर्ष्या द्वेष उत्पन्न होता है। वह रात-दिन इस आग मे जलता रहता है। दूसरों की निंदा करने पर उसे थोड़ी-सी शांति मिलती है। ऐसा निंदक दया का पात्र होता हैं। वह अपनी असमर्थता अयोग्यता और हीनता से दुःखी होकर दूसरों की योग्यता को देखकर उनकी निंदा उसी प्रकार करता है, जैसे- चाँद को देखकर कुत्ता सारी रात भौंकता रहता है।

उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक चुनिए। 
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कोई हँस रहा है कोई रो रहा है।
कोई पा रहा है कोई खो रहा है
कोई ताक में है किसी को है गफलत
कोई जागता है कोई सो रहा है
कहीं नाउम्मीदी ने बिजली गिराई
कोई बीज उम्मीद के बो रहा है।
इसी सोच में मैं तो रहता हूँ 'अकबर'
यह क्या हो रहा है यह क्यों हो रहा है

'कोई सो रहा है' से कवि का क्या आशय है?

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निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्न के सही/सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए।

वह पूँजी है मेरे गूँगे अभ्यासों की,
वह सारी रचना का क्रम है,
वह जीवन का संचित श्रम है,
बस उतना ही मैं हूँ,
बस उतना ही मेरा आश्रय है,
तुम उसको मत वाणी देना
वह पीड़ा है जो हमको,
तुमको, सबको अपनाती है, 
सच्चाई है- अनजानों का भी हाथ पकड़ चलना सिखलाती है, 
वह यति है- हर गति को नया जन्म देती है
आस्था है- रेती में भी नौका खेती है 
वह टूटे मन का सामर्थ है,
वह भटकी आत्मा का अर्थ है,
तुम उसको मत वाणी देना।

उपरोक्त कविता में ‘वाणी’ से कवि का क्या आशय है?

EASY

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

मध्य हिमालय की जो श्रेणियाँ स्पीति को घेरे हुए हैं उनमें से जो उत्तर में हैं उसे बारालाप्चा श्रेणियों का विस्तार समझें। बारालाचा दर्रे की ऊँचाई का अनुमान 16,221 फीट से लगाकर 16,500 फीट का लगाया गया है। इस पर्वत श्रेणी में दो चोटियों की ऊँचाई 21,000 फीट से अधिक है। दक्षिण में जो श्रेणी है वह माने श्रेणी कहलाती है। इसका क्या अर्थ है? कहीं यह बौद्धों के माने मंत्र के नाम पर तो नहीं है? 'ॐ मणि पद्मे हुँ' इनका बीज मंत्र है। इसका बड़ी माहात्म्य है। इसे संक्षेप में माने कहते हैं कहीं इस श्रेणी का नाम इस माने के नाम पर तो नहीं है? अगर नहीं है तो करने जैसा है। यहाँ इन पहाड़ियों में माने का इतना जाप हुआ है कि यह नाम उन श्रेणियों को दे डालना ही सहज है।

बारालाचा श्रेणियाँ स्पीति की किस दिशा में है ?
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वह छाया है मेरे पावन विश्वासों की,
वह पूँजी है मेरे गूँगे अभ्यासों की,
वह सारी रचना का क्रम है,
वह जीवन का संचित श्रम है,
बस उतना ही मैं हूँ
बस उतना ही मेरा आश्रय है,
तुम उसको मत वाणी देना
वह पीड़ा है जो हमको,
तुमको, सबको अपनाती है, 
सच्चाई है- अनजानों का भी हाथ पकड़ चलना सिखलाती है,
वह यति है- हर गति को नया जन्म देती है
आस्था है- रेती में भी नौका खेती है
वह टूटे मन का सामर्थ है,
वह भटकी आत्मा का अर्थ है,
तुम उसको मत वाणी देना।

उपरोक्त कविता में कौन किसके बारे में वर्णन करता है:

EASY

निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।

'दूसरों की निंदा करने का एक कारण दूसरे के प्रति ईर्ष्या-द्वेष भी होता है। कुछ लोग ईर्ष्या-द्वेष से दूसरों की निंदा करते हैं। इस प्रकार की निंदा सरस नही होती। उसमें आनंद नहीं आता। निंदा करने का जो आनंद समर्पित भाव से निंदा करने मे आता है, वह ईर्ष्या-द्वेष रखकर निंदा करने मे नही आता। ईर्ष्या द्वेष रखकर निंदा करने वाले को सुख प्राप्त नहीं होता। वह सदा दु:खी और अशांत रहता है। उससे दूसरे की उन्नति, प्रगति, सुख, समृद्धि सहन नहीं होती। अपनी असमर्थता और हीनता के कारण उसमें ईर्ष्या द्वेष उत्पन्न होता है। वह रात-दिन इस आग मे जलता रहता है। दूसरों की निंदा करने पर उसे थोड़ी-सी शांति मिलती है। ऐसा निंदक दया का पात्र होता हैं। वह अपनी असमर्थता अयोग्यता और हीनता से दुःखी होकर दूसरों की योग्यता को देखकर उनकी निंदा उसी प्रकार करता है, जैसे- चाँद को देखकर कुत्ता सारी रात भौंकता रहता है।

ईर्ष्या-द्वेष रखकर निंदा करने वालो को क्या प्राप्त नहीं होता ?

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निम्नलिखित में से कौन-सी रचना रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित है ? 
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नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/ सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प चुनिए-
स्तब्ध ज्योत्सना में जब संसार
चकित रहता शिशु-सा नादान
विश्व के पलकों पर सुकुमार
विचरते हैं जब स्वप्न अजान।
न जाने नक्षत्रों से कौन
निमन्त्रण देता मुझको मौन?
'सघन मेघों का भीमाकाश
गरजता है जब तमसाकार 
दीर्घ भरता समीर निःश्वास 
प्रखर झरती जब पावस धार' 
न जाने, तपक तड़ित में कौन,
मुझे इंगित करता तब मौन
'कनक छाया में जब कि सकाल 
खोलती कलिका उर के द्वार।' 
सुरभि पीड़ित मधुपों के बाल 
तड़प बन जाते हैं गुंजार  
न जाने दुलक ओस में कौन
खींच लेते मेरे दृग मौन!

उपर्युक्त गद्यांश में उक्त पंक्ति 'चकित रहता शिशु-सा नादान' में कौन-सा अलंकार निहित है?

EASY

नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/ सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प चुनिए-
स्तब्ध ज्योत्सना में जब संसार
चकित रहता शिशु-सा नादान
विश्व के पलकों पर सुकुमार
विचरते हैं जब स्वप्न अजान।
न जाने नक्षत्रों से कौन
निमन्त्रण देता मुझको मौन?
'सघन मेघों का भीमाकाश
गरजता है जब तमसाकार 
दीर्घ भरता समीर निःश्वास 
प्रखर झरती जब पावस धार' 
न जाने, तपक तड़ित में कौन,
मुझे इंगित करता तब मौन
'कनक छाया में जब कि सकाल 
खोलती कलिका उर के द्वार।' 
सुरभि पीड़ित मधुपों के बाल 
तड़प बन जाते हैं गुंजार  
न जाने दुलक ओस में कौन
खींच लेते मेरे दृग मौन!

संसार शब्द का संधि विच्छेद है:

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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

मध्य हिमालय की जो श्रेणियाँ स्पीति को घेरे हुए हैं उनमें से जो उत्तर में हैं उसे बारालाप्चा श्रेणियों का विस्तार समझें। बारालाचा दर्रे की ऊँचाई का अनुमान 16,221 फीट से लगाकर 16,500 फीट का लगाया गया है। इस पर्वत श्रेणी में दो चोटियों की ऊँचाई 21,000 फीट से अधिक है। दक्षिण में जो श्रेणी है वह माने श्रेणी कहलाती है। इसका क्या अर्थ है? कहीं यह बौद्धों के माने मंत्र के नाम पर तो नहीं है? 'ॐ मणि पद्मे हुँ' इनका बीज मंत्र है। इसका बड़ी माहात्म्य है। इसे संक्षेप में माने कहते हैं कहीं इस श्रेणी का नाम इस माने के नाम पर तो नहीं है? अगर नहीं है तो करने जैसा है। यहाँ इन पहाड़ियों में माने का इतना जाप हुआ है कि यह नाम उन श्रेणियों को दे डालना ही सहज है।

बारालाचा श्रेणियों के बारे में क्या बताया गया है ?
MEDIUM

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्न के सही/सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए।

वह पूँजी है मेरे गूँगे अभ्यासों की,
वह सारी रचना का क्रम है,
वह जीवन का संचित श्रम है,
बस उतना ही मैं हूँ,
बस उतना ही मेरा आश्रय है,
तुम उसको मत वाणी देना
वह पीड़ा है जो हमको,
तुमको, सबको अपनाती है, 
सच्चाई है- अनजानों का भी हाथ पकड़ चलना सिखलाती है, 
वह यति है- हर गति को नया जन्म देती है
आस्था है- रेती में भी नौका खेती है 
वह टूटे मन का सामर्थ है,
वह भटकी आत्मा का अर्थ है,
तुम उसको मत वाणी देना।

‘पीड़ा’ से कवि का क्या तात्पर्य है?