
सामान्यतः कर्त्ता, क्रिया आदि के सार्थक शब्द समूह को क्या कहते हैं?

Important Questions on वाक्य विचार
निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए अनुच्छेदों के पहले और अन्तिम वाक्यों को क्रमशः और की संज्ञा दी गई है। इसके मध्यवर्ती वाक्यों को चार भागों में बाँटकर (य), (र), (ल), (व) की संज्ञा दी गई है। ये चारों वाक्य व्यवस्थित क्रम में नहीं हैं। इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित क्रम चुनिए, जिससे सही अनुच्छेद का निर्माण हो।
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
(य) और नवयुग की चेतना लेकर निबन्ध के
(र) एवं विचारात्मक कोटियों में रखे गम्भीर ज्ञान
(ल) प्राचीन सांस्कृतिक परम्परा का गम्भीर ज्ञान
(व) क्षेत्र में अवतरित हुए तथा इनके निबंध भावात्मक
इनके व्यक्तित्व की छाप लिए हुए है।

निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए अनुच्छेदों के पहले और अन्तिम वाक्यों को क्रमशः और की संज्ञा दी गई है। इसके मध्यवर्ती वाक्यों को चार भागों में बाँटकर (य), (र), (ल), (व) की संज्ञा दी गई है। ये चारों वाक्य व्यवस्थित क्रम में नहीं हैं। इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित क्रम चुनिए, जिससे सही अनुच्छेद का निर्माण हो।
दहेज प्रथा का जन्म पुरानी सामाजिक प्रथाओं में ढूँढ़ा जा सकता है।
(य) उसे नई गृहस्थी बसानी होती है।
(र) विवाह के बाद लड़की एक नए घर में जाती है।
(ल) अपना नया घोंसला बनाने में उसे अधिक असुविधा न हो इसलिए उसे कुछ उपहार देने का रिवाज था।
(व) उपहार में उसे गृहस्थी में काम आने वाली वस्तुएं स्वेच्छा से दी जाती थीं, कोई बाध्यता नहीं होती थी।
पर धीर-धीरे इसमें बुराइयां आती गई।

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सारतः कहा जा सकता है कि
(य) अनायास ही मानव-जीवन की सर्वोपयोगी
(र) सरस साधन काव्य ही है, जिसका
(ल) चारों पदार्थों की प्राप्ति का सुलभ तथा
(व) अनुशीलन करने पर अल्पबुद्धि वाले प्राणी भी
वस्तुओं को प्राप्त कर सकते हैं

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प्रजातान्त्रिक जीवन-व्यवस्था व्यक्ति स्वातन्त्र्य पर आधारित है।
(य) इस व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सीमाएं भी हैं। जब वह समाज के अन्य सदस्यों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करती है।
(र) प्रत्येक व्यक्ति अपनी रुचि के अनुसार कार्य कर सकता है।
(ल) वस्तुतः प्रजातन्त्र शासन-पद्धति मात्र नहीं है, जीवन-चर्या है।
(व) विचार और कर्म के क्षेत्र में अपना दीपक बन सकता है।
उससे आचरण की सभ्यता का जन्म होता है।

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आणविक अस्त्रों के विरोध में
(य) उसका उद्घाटन करते हुए राजेन्द्र बाबू ने भारत को
(र) अपनी सेनाएँ विघटित कर दे, तो
(ल) यह सुझाव दिया था कि यह देश
(व) दिल्ली में जो सार्वभौम समारोह हुआ था।
इससे संसार को एक नया रास्ता मिल सकता है।

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अपने देश के कई भागों में इधर-उधर ताम्बा काफी मात्रा में बिखरा पड़ा है।
(य) जमीन के ऊपर बने छेद से तेजाबी घोल डाला जाए तो ताम्बा उसमें घुल जाएगा।
(र) विस्फोट करने से जमीन के अन्दर का ताम्र अयस्क भण्डार टूट-फूट जाएगा।
(ल) पारम्परिक तरीकों से इसे निकालने में बहुत खर्च आएगा।
(व) इसके लिए न्यूक्लियर विस्फोट बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
इस द्रव ताम्बे को ऊपर खींचा जा सकता है।

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मनुष्य अपना भाग्य-विधाता स्वयं है।
(य) उसे चाहिए कि वह संसार के महापुरुषों की जीवनियाँ पढ़े।
(र) अपने बाहुबल का भरोसा कर, आत्मविश्वास का कवच पहनकर वे संसार-समर में उतर पड़े।
(ल) उनमें से अधिकतर को तो काँटों पर ही चलना पड़ा है।
(व) पर, वे भाग्य के सहारे बैठे न रहे।
उन्होंने यह परवाह न की, कि आगे विस्तृत सागर है या विराट् हिमालय।

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गत अस्सी वर्षों में-
(य) हमारे दिमाग को इतना भोथरा,
(र) सुकुमार दुनिया हमारी पथराई आँखों के
(ल) बना दिया है कि संस्कृति की
(व) राजनीतिक-आर्थिक संघर्षों ने
सामने आकर भी नहीं आ पाती।

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नाटक में ऐसे अनेक प्रसंग आते हैं जिसमें यह निर्णय करना कठिन हो जाता है कि नाटककार किस उद्देश्य से अपनी रचना को प्रस्तुत कर रहा है।
(य) भारत के प्राचीन नाटकों में सर्वाधिक जोर जीवन की व्याख्या पर ही दिया गया है।
(र) ऐसी स्थिति में नाटक के समस्त पात्रों के कथनों का परस्पर मिलान करके उनका ठीक-ठीक अभिप्राय समझकर नाटक के उद्देश्य का निर्णय किया जा सकता है।
(ल) उन उद्गारों का चयन करके ही हमें किसी नाटक का उद्देश्य स्थिर करना चाहिए।
(व) नाटक के प्रधान पात्रों द्वारा ही नाटककार अपने उद्गार प्रस्तुत करता है।
यहाँ नाटकों द्वारा सर्वश्रेष्ठ नैतिक आदर्श उपस्थित किए जाते हैं।

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प्रत्येक मनुष्य जीवित रहना चाहता है।
(य) उसे आत्मा-रक्षा का अधिकार प्राप्त है
(र) जो व्यक्ति दूसरों का जीवन नष्ट करता है या नष्ट करने का प्रयास करता है, उसे राज्य द्वारा दण्ड दिया जाता है।
(ल) इसलिए राज्य अपनी जनता को जीवन की रक्षा के लिए आश्वस्त करता है।
(व) वह नहीं चाहता कि दूसरा व्यक्ति उसकी हत्या करे अथवा उसे कष्ट पहुँचाए।
जीवन की रक्षा का अधिकार अत्यन्त महत्त्वपूर्ण अधिकार है।

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सच्ची बात तो यह है-
(य) वह अपना मनोरंजन संगीत और अभिनय जैसे
(र) किसी भी युग का प्राणी ऐसा नीरस
(ल) आनन्ददायक साधनों के
(व) और हदयहीन नहीं होता कि
द्वारा नहीं करता।

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बहुत दिनों की इच्छा-
(य) अभी तक पूरी नहीं हुई;
(र) ठीक जिसके चरित में
(ल) - एक जीवन-चरित लिखूँ
(व) चरितनायक नहीं मिल रहा था,
नायकत्व प्रधान हो।

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शिव ने उल्लासातिरेक में जो उद्दाम नृत्य किया था, उसे उनके शिष्य तंडु मुनि ने याद कर लिया था।
(य) रस भी अर्थ है, भाव भी अर्थ है, परन्तु तांडव में न 'रस' है, न ' भाव'।
(र) 'तांडव' अर्थात् तंडू मुनि द्वारा प्रवर्तित 'रस-भाव-विवर्जित' नृत्य।
(ल) नाचने वाले का कोई उद्देश्य नहीं, मतलब नहीं, 'अर्थ' नहीं।
(व) उन्होंने जिस नृत्य का प्रवर्तन किया उसे तांडव कहा जाता है।
(6) केवल जड़ता के दुर्वार आकर्षण को छिन्न करके एकमात्र चैतन्य की अनुभूति का उल्लास।

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महात्मा गाँधी के जीवन के मूल मंत्र थे-सत्य और अहिंसा।
(य) उनकी आत्मकथा 'सत्य के प्रयोग' इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।
(र) किसी प्रकार की हिंसा का आश्रय लेकर प्राप्त की गई स्वाधीनता भी उन्हें स्वीकार्य न थी।
(ल) अहिंसा से उनका तात्पर्य था-मनसा, वाचा, कर्मणा अहिंसा।
(व) सत्य के बिना वे एक कदम भी आगे बढ़ने को तैयार न थे।
वास्तव में, गाँधी को महामानव नहीं, देवताओं की कोटि में रखा जाना चाहिए।

निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए अनुच्छेदों के पहले और अन्तिम वाक्यों को क्रमशः और की संज्ञा दी गई है। इसके मध्यवर्ती वाक्यों को चार भागों में बाँटकर (य), (र), (ल), (व) की संज्ञा दी गई है। ये चारों वाक्य व्यवस्थित क्रम में नहीं हैं। इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित क्रम चुनिए, जिससे सही अनुच्छेद का निर्माण हो।
मनुष्य पाँव से चलता है
(य) समुदाय से चलता है
(र) तब उसे जीवन कहते हैं,
(ल) प्राणों से चलता है
(व) तब उसे यात्रा कहते हैं,
तब उसे समाज कहते हैं।

निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए अनुच्छेदों के पहले और अन्तिम वाक्यों को क्रमशः और की संज्ञा दी गई है। इसके मध्यवर्ती वाक्यों को चार भागों में बाँटकर (य), (र), (ल), (व) की संज्ञा दी गई है। ये चारों वाक्य व्यवस्थित क्रम में नहीं हैं। इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित क्रम चुनिए, जिससे सही अनुच्छेद का निर्माण हो।
जीवन एक संघर्ष है,
(य) असहाय स्थिति में भी संघर्ष में कूदा जा सकता है।
(र) मान लिया कि आपके पास साधनों का अभाव है, लेकिन आप तो हैं।
(ल) भले ही आप कमजोर हैं। लेकिन विपदाओं से भिड़ने का, कुछ-न-कुछ करने का साहस तो आप में है।
(व) इस संघर्ष में अपने आपको असहाय समझना और संघर्ष से मुँह मोड़ लेना उचित नहीं है।
यही बहुत है।


निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए अनुच्छेदों के पहले और अन्तिम वाक्यों को क्रमशः और की संज्ञा दी गई है। इसके मध्यवर्ती वाक्यों को चार भागों में बाँटकर (य), (र), (ल), (व) की संज्ञा दी गई है। ये चारों वाक्य व्यवस्थित क्रम में नहीं हैं। इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित क्रम चुनिए, जिससे सही अनुच्छेद का निर्माण हो।
मनोविनोद की क्षमता से युक्त होने के-
(य) जहाँ एक ओर हास्य-कविता की लोकप्रियता बढ़ी है
(र) कि उसमें घटिया और भोंडी बातों के समावेश से
(ल) और इसलिए कवि सम्मेलनों के आश्रय में विकसित होने के कारण
(व) वहीं दूसरी ओर एक हानि यह भी हुई है
सूक्ष्म और परिष्कृत हास्य का स्तर गिर गया है।

निम्नलिखित प्रश्न में दिए गए अनुच्छेद के पहले और अन्तिम वाक्यों को क्रमशः और की संज्ञा दी गई है। इसके मध्यवर्ती वाक्यों को चार भागों में बाँटकर (य), (र), (ल), (व) की संज्ञा दी गई है। ये चारों वाक्य व्यवस्थित क्रम में नहीं हैं। इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित क्रम चुनिए, जिससे सही अनुच्छेद का निर्माण हो।
संस्कृति अथवा सामूहिक चेतना ही हमारे देश का प्राण है।
(य) जहाँ उनमें सब तरह की विभिन्नताएं हैं, वहां उन सब में यह एकता है।
(र) इसी नैतिक चेतना के सूत्र से हमारे विभिन्न वर्ग और जातियाँ आपस में बँधी हुई हैं।
(ल) अहिंसा, सेवा और त्याग की बातों से जनसाधारण का हदय इसलिए आन्दोलित हो उठा क्योंकि उन्हीं से तो वह शताब्दियों से प्रभावित और प्रेरित रहा।
(व) बापू ने जनसाधारण को बुद्धिजीवियों के नेतृत्व में क्रान्ति के लिए तत्पर रहने के लिए इसी नैतिक चेतना का सहारा लिया था।
जनसाधारण के हृदय में धड़कती चेतना को क्रान्ति की शक्ति बनाने में बापू की दूरदर्शिता थी और इसी में उनकी सफलता भी।

निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए अनुच्छेदों के पहले और अन्तिम वाक्यों को क्रमशः और की संज्ञा दी गई है। इसके मध्यवर्ती वाक्यों को चार भागों में बाँटकर (य), (र), (ल), (व) की संज्ञा दी गई है। ये चारों वाक्य व्यवस्थित क्रम में नहीं हैं। इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित क्रम चुनिए, जिससे सही अनुच्छेद का निर्माण हो।
स्वप्न में देखा,
(य) आकाश की नीली लता में सूर्य, चन्द्र और ताराओं के फूल
(र) पृथ्वी की लता पर पर्वतों के फूल
(ल) हाथ जोड़े खिले हुए एक अज्ञात शक्ति की समीर से हिल रहे हैं।
(व) हाथ जोड़े आकाश को
नमस्कार कर रहे हैं।

