हिंदी व्याकरण
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अपठित गद्यांश एवं काव्यांश का अध्ययन कर स्मृति या पुनरावलोकन के आधार पर गद्यांश आधारित प्रश्नों को हल करने की विधि का अध्ययन शिक्षार्थी इस पाठ के अंतर्गत करते हैं।

इस पाठ के अंतर्गत छात्रों के वाचन एवं लेखन को शुद्ध बनाने के दृष्टिकोण से वर्णमाला की पहचान कराई जाती है। इसके अंतर्गत छोटी लेकिन महत्वपूर्ण अशुद्धियां जैसे अनुनासिक जैसे हैं या है, या र के बदलते प्रारूप (क्र, कृ, र्क की) प्रयोग विधि सिखायी जाती है।

शब्दों के उपयुक्त उपयोग के ज्ञान के दृष्टिकोण से यह पाठ अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अंतर्गत शिक्षार्थी वचन, संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रियाविशेषण एवं अव्यय की पहचान, उदाहरण एवं उपयोग की जानकारी ग्रहण करते हैं।

इस पाठ में लिंग, कारक और वचन की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण, शब्दों के लिंग परिवर्तन के लिए प्रयुक्त नियम, लिंग परिवर्तन के उदाहरण, पुल्लिंग शब्दों के उदाहरण एवं प्रयोग एवं स्त्रीलिंग शब्दों के उदाहरण एवं प्रयोग, कारकों के मध्य अंतर एवं कारक विभक्ति चिन्हों का अध्ययन और कर्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, संबंध, अधिकरण एवं संबोधन कारक का अध्ययन करते हैं। साथ ही, वचन यथा एकवचन अथवा बहुवचन के उदहारण और उनके बारे में विस्तार से जानेंगे।

इस पाठ में हम काव्य को अलंकृत करने के दृष्टिकोण से अर्थालंकार और शब्दालंकार के अंतर्गत आने वाले विभिन्न अलंकारों का अध्ययन करते हैं। जैसे उपमा अलंकार, रूपक अलंकार, उत्प्रेक्षा अलंकार, अतिश्योक्ति अलंकार, अनुप्रास अलंकार, यमक अलंकार, श्लेष अलंकार, वक्रोक्ति अलंकार। साथ ही, हम इनके भेद, प्रयोग और उदाहरणों पर भी विस्तृत चर्चा करेंगे।

इस पाठ में शब्दों के समान अर्थ से परे कुछ अन्य व्यंग्यात्मक या गूढ़ अर्थों को दर्शाने एवं भाषा को प्रभावशाली बनाने के उद्देश्य से मुहावरे मुहावरे और लोकोक्तियाँ का अध्ययन किया जाता है। इसके अंतर्गत हिंदी मुहावरे और लोकोक्तियाँ एवं उनके अर्थ तथा प्रयोग की शिक्षा की जाती है।

शब्दों के सार्थक समूह का उपयोग कर वाक्य निर्माण की विधि एवं वाक्यों के अंग, गुण तथा अर्थ एवं रचना के आधार पर विभाजन का अध्ययन इस पाठ में किया जाता है। वाक्यों के रूप परिवर्तन या संश्लेषण की शिक्षा भी इस पाठ में ली जाती है।

इस पाठ के अंतर्गत छात्रों के वाचन एवं लेखन को शुद्ध बनाने के दृष्टिकोण से वर्णमाला की पहचान कराई जाती है। इसके अंतर्गत छोटी लेकिन महत्वपूर्ण अशुद्धियां जैसे अनुनासिक जैसे हैं या है, या र के बदलते प्रारूप (क्र, कृ, र्क की) प्रयोग विधि सिखायी जाती है।

शब्दों के शुद्ध रूप के ज्ञान एवं उपयोग की विधि ज्ञात होने के उपरांत शब्दों के साथ अन्य शब्दों को जोड़ कर शब्दों के निर्माण करने की विधि इस पाठ के अंतर्गत सिखायी जाती है। इसके अंतर्गत उपसर्ग, प्रत्यय, संधि एवं विच्छेद तथा समास का अध्ययन किया जाता है।

