शिक्षण में आने वाली समस्याएँ
हिंदी Solutions from Chapter -1 - शिक्षण में आने वाली समस्याएँ
इस पाठ के अंतर्गत छात्रों की समस्याओं के निदान हेतु निदानात्मक एवं उपचारात्मक प्रणाली, शिक्षण विधि को सुदृढ़ करने हेतु पाठ योजना का एवं छात्रों की रचनात्मक विकास हेतु बहुभाषिकता एवं बाल साहित्य का संसार जैसी विषय विषय वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है।
Practice Other Topics from शिक्षण में आने वाली समस्याएँ
इस टॉपिक के अंतर्गत शिक्षार्थी शिक्षण के दौरान आने वाली बौद्धिक, मानसिक या संवेगनात्मक समस्याओं का अध्ययन करते हैं। इसमें समस्याओं के निदान हेतु निदानात्मक एवं उपचारात्मक शिक्षण की परिभाषा, उद्देश्य, क्षेत्र, विधि तथा उपयोगिता का अध्ययन किया जाता है।

इस टॉपिक के अंतर्गत निदानात्मक शिक्षण की परिभाषा, निदानात्मक शिक्षण के उद्देश्य, निदानात्मक शिक्षण के क्षेत्र, निदानात्मक परीक्षणों की उपयोगिता, उपचारात्मक शिक्षण की परिभाषा, उपचारात्मक शिक्षण के उद्देश्य, उपचारात्मक शिक्षण की विधियां और उपचारात्मक शिक्षण के विषय क्षेत्र के बारे में अध्ययन किया जाता है।

इस टॉपिक के अंतर्गत शिक्षण पद्धति की निरंतरता हेतु अधिगम के आवश्यक संसाधनों, शिक्षण अधिगम सामग्री के आशय, प्रकार, आवश्यकता एवं महत्व के साथ-साथ श्रव्य, दृश्य, दृश्य-श्रव्य एवं क्रियात्मक सहायक शिक्षण अधिगम सामग्री के बारे में अध्ययन किया जाता है।

इस टॉपिक के अंतर्गत शिक्षार्थी कक्षा के कुशल संचालन एवं पाठ्यक्रम को समयावधि में सुनियोजित रूप से समाप्त करने हेतु इसका अध्ययन करते हैं। इसमें पाठ योजना के सिद्धान्त, लक्ष्य, तत्व, उपागम इत्यादि के साथ पंचपदीय प्रणाली, ब्लूम उपागम एवं पाठ योजना के चरणों का अध्ययन किया जाता है।

इस टॉपिक के अंतर्गत विभिन्न परिवेशों से आए विद्यार्थियों के पठन पाठन में बहुभाषिकता एक चुनौती है। इसके निदान एवं बहुभाषिकता के महत्व, लाभ तथा राष्ट्रीय स्तर पर भाषायी अंतःसंबंध स्थापित कर राष्ट्र एकता के निर्माण की विधियों को सीखने हेतु अध्ययन किया जाता है।

इस टॉपिक के अध्ययन से शिक्षार्थी बाल साहित्य की विधाएं, लाभ एवं विशेषताओं से अवगत होते हैं। बाल साहित्य का संसार कैसे छोटे बच्चों में कल्पनाशीलता एवं रचनात्मकता के विकास के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होता है इसका अध्ययन इसमें किया जाता है।
